रूम मेट की रंगीन मिजाजी ने खत्म किया इस दिग्गज क्रिकेटर का करियर, जानें वजह?

रूम मेट की रंगीन मिजाजी ने खत्म किया इस दिग्गज क्रिकेटर का करियर, जानें वजह?

क्रिकेट न्यूज डेस्क।। 1950 के दशक और 1960 के शुरुआती वर्षों में स्पिन का जादू चलाने वाले सुभाष गुप्ते का करियर 32 साल में ही खत्म हो गया था. वेस्टइंडीज के महान ऑल-राउंडर सर गैरी सोबर्स इस भारतीय लेग ब्रेक गुगली गेंदबाज को शेन वॉर्न से भी ज्यादा असरदार करार चुके हैं.

लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण हालात के हुए शिकार
सुभाष गुप्ते के लिए इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली टेस्ट (दिसंबर 1961) आखिरी मैच साबित हुआ. 36 टेस्ट में 149 विकेट लेने वाले गुप्ते ऐसे विवाद में घिरे कि दोबारा उन्हें टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला. दरअसल, भारतीय टीम इस दौरान दिल्ली के इंपीरियल होटल में ठहरी थी. जहां वे एजी कृपाल सिंह के साथ एक ही कमरे में ठहरे थे. 

साथी क्रिकेटर पर रिसेप्शनिस्ट से जबरदस्ती का आरोप
साथ ठहरे  एजी कृपाल सिंह पर रूम में रिसेप्शनिस्ट को बुलाने और डेट पर चलने के लिए परेशान करने का आरोप लगा. इसकी शिकायत उस रिसेप्शनिस्ट ने भारतीय टीम के मैनेजर से की. जिसके बाद सुभाष गुप्ते का नाम भी इस विवाद से जुड़ गया. उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया.

बोर्ड ने कहा था, आपने ऐसा करते रोका क्यों नहीं? 
होटल के इस वाकये के बाद बोर्ड ने सुभाष गुप्ते से पूछा था कि आपने एजी कृपाल सिंह को ऐसा करते रोका क्यों नहीं. इस पर गुप्ते का सीधा जवाब था - वह एक बड़ा आदमी है, मैं उसे कैसे रोक सकता हूं. आखिरकार, बोर्ड ने निर्णय लिया कि वेस्टइंडीज के दौरे के लिए इन दोनों खिलाड़ी पर विचार नहीं किया जाना चाहिए. और यहीं सुभाष गुप्ते का करियर खत्म हो गया. हालांकि एजी कृपाल सिंह 1964 तक खेलते रहे.

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टेस्ट की एक पारी 9 विकेट लेकर किया था कमाल
1958 में कानपुर टेस्ट की पहली पारी में सुभाष गुप्ते ने वेस्टइंडीज के 9 विकेट चटकाए थे. वे उस पारी में इंडीज के दसों विकेट झटक सकते थे, लेकिन विकेटकीपर नरेन तम्हाणे  ने लान्स गिब्स का कैच छोड़ दिया था.

फर्स्ट क्लास में पारी के दसों विकेट लेने वाले पहले भारतीय  
सुभाष गुप्ते प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पारी के सभी 10 ((78 रन देकर) विकेट झटकने वाले पहले भारतीय गेंदबाज रहे. उन्होंने 1954-55 में बॉम्बे की ओर से खेलते हुए बहावलपुर इलेवन के खिलाफ यह कारनामा किया था. 1956-57 में प्रेमांशु चटर्जी  20 रन देकर 10 विकेट लेकर गुप्ते को पीछे छोड़ने में सफल रहे.

वेस्टइंडीज में शादी की और वहीं जाकर बस गए
सुभाष गुप्ते त्रिनिदाद की महिला कैरोल से शादी के बाद वहीं बस गए. उन्होंने त्रिनिदाद और साउथ त्रिनिदाद की ओर से कुछ फर्स्ट क्लास क्रिकेट भी खेले.  2002 में पोर्ट ऑफ स्पेन में उनका देहांत हो गया.

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