जब खिलाड़ियों ने अपने मतलब के लिए निकाला टीम का दिवाला, क्रिकेट की वो कहानीयां जिन्हे जान आ जाऐगा गुस्सा

‘मतलबी’ बन जब खिलाड़ियों ने किया शर्मसार, क्रिकेट के ऐसे किस्से जिन्हें भूलना चाहोगे

क्रिकेट न्यूज़ डेस्क ।। भले ही क्रिकेट को एक टीम खेल के रूप में देखा जाता है, लेकिन कभी-कभी खिलाड़ी अपने निजी हितों को आगे रख देते हैं। अक्सर देखा गया है कि खिलाड़ी अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियां हासिल करने के लिए उत्सुक रहते हैं। खिलाड़ी कभी-कभी अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में इतने आगे बढ़ जाते हैं कि उनकी टीम को भी नुकसान होता है। व्यक्तिगत उपलब्धियां हासिल करना किसी भी खिलाड़ी के लिए बुरी बात नहीं है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को नुकसान हो तो यह किसी को स्वीकार्य नहीं है. आइए एक नजर डालते हैं ऐसी ही क्रिकेट कहानियों पर.

ट्रेवर चैपल की अंडरआर्म बॉलिंग

1980-81 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच वनडे मैच खेला जा रहा था. इस मैच की आखिरी गेंद पर न्यूजीलैंड को जीत के लिए सात रनों की जरूरत थी. इधर कंगारू कप्तान ग्रेग चैपल किसी भी हालत में हारना नहीं चाहते थे. यही कारण है कि उन्होंने अपने भाई ट्रेवर चैपल को अंडरआर्म गेंदबाजी करने के लिए कहा। उन्होंने वैसा ही किया और उसकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया मैच जीत गया. नियमों के मुताबिक उस वक्त ऐसा करना गलत नहीं था, लेकिन इसे खेल भावना के खिलाफ माना जाता था. इस घटना के बाद कंगारू टीम बुरी तरह शर्मिंदा हुई थी.

डेविड वॉर्नर का शतक

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ऑस्ट्रेलिया के आक्रामक बल्लेबाज डेविड वॉर्नर को शतक लगाने के बाद भी आलोचना का सामना करना पड़ा. यह घटना 2012 की है, जब उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ कॉमनवेल्थ सीरीज के दूसरे फाइनल में 140 गेंदों पर 100 रन बनाए थे। उनकी पारी में केवल पांच चौके शामिल थे। इस मैच में डेविड वॉर्नर और माइकल क्लार्क के शतकों के बावजूद कंगारुओं ने पहले खेलते हुए स्कोरबोर्ड पर सिर्फ 271 रन बनाए थे. अगर वॉर्नर इस मैच में धीमी गति से नहीं खेलते तो मैच का नतीजा जरूर अलग हो सकता था. ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 272 रनों के लक्ष्य को हासिल करने में श्रीलंकाई टीम को कोई परेशानी नहीं हुई. तिलकरत्ने दिलशान के शतक की बदौलत टीम ने यह लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया.

सूरज रणदीव की नो बॉल

2010 में खेले गए इस मैच को कौन भूल सकता है? श्रीलंका के खिलाफ इस मैच में भारत को श्रीलंका से 171 रनों का लक्ष्य मिला. लक्ष्य को देखकर लग रहा था कि भारत के लिए यह मुश्किल नहीं होगा, लेकिन 32 रन पर खेल दोबारा शुरू हुआ. यहां भारत ने एक के बाद एक तीन विकेट खो दिए. यहां से सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने मोर्चा संभाला. जब सहवाग 99 रन पर पहुंचे तो टीम को जीत के लिए सिर्फ एक रन की जरूरत थी. यहां गेंदबाजी कर रहे श्रीलंकाई स्पिनर सूरज रणदीव ने जानबूझकर नो बॉल फेंकी. जिसके कारण सहवाग अपना शतक पूरा नहीं कर सके. बाद में रणदीव को अपने किए की सजा भुगतनी पड़ी.

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