BCCI Lifetime Achievement Award: सचिन तेंदुलकर को सम्मानित करेगी बीसीसीआई, मिलेगा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

क्रिकेट न्यूज़ डेस्क ।। पूर्व बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को शनिवार को बीसीसीआई के वार्षिक समारोह में बोर्ड के 'लाइफटाइम अचीवमेंट' पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। तेंदुलकर यह पुरस्कार जीतने वाले 31वें खिलाड़ी बन जायेंगे। बीसीसीआई ने भारत के प्रथम कप्तान कर्नल सीके नायडू के सम्मान में 1994 में इस पुरस्कार की स्थापना की थी। तेंदुलकर के 200 टेस्ट और 463 एकदिवसीय मैच क्रिकेट के इतिहास में किसी भी खिलाड़ी द्वारा खेले गए सर्वाधिक मैच हैं। उन्होंने एकदिवसीय मैचों में 18,426 रन और टेस्ट मैचों में 15,921 रन बनाए हैं। उन्होंने अपने शानदार करियर में केवल एक टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है।
सचिन का पदार्पण 1989 में हुआ था।
भारत के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री और पूर्व अनुभवी विकेटकीपर फारुख इंजीनियर को 2023 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपने युग के महानतम बल्लेबाज माने जाने वाले तेंदुलकर सभी परिस्थितियों में आसानी से रन बनाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 1989 में 16 वर्ष की आयु में पाकिस्तान के विरुद्ध टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और अगले दो दशकों तक दुनिया भर के गेंदबाजों के विरुद्ध रन बनाये। उनके नाम टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में 100 शतक बनाने का रिकॉर्ड भी है। तेंदुलकर, जिनके नाम कई बल्लेबाजी रिकॉर्ड हैं, भारत की 2011 विश्व कप विजेता टीम के प्रमुख सदस्य भी थे। यह उनका रिकार्ड छठा और अंतिम विश्व कप था।
जब तेंदुलकर अपने खेल के शिखर पर थे, तो देश की एक बड़ी आबादी उन्हें बल्लेबाजी करते देखने के लिए उमड़ पड़ती थी। प्रतिद्वंद्वी टीमों के गेंदबाजों से उन्हें सबसे ज्यादा डर लगता था। दुनिया भर के कई पूर्व महान गेंदबाजों ने कहा है कि भारतीय बल्लेबाजों में उन्हें केवल तेंदुलकर से ही परेशानी है। भारतीय क्रिकेट परिदृश्य पर तेंदुलकर का उदय उस समय हुआ जब भारत में आर्थिक उदारीकरण शुरू हुआ। घुंघराले बालों वाले इस महान क्रिकेटर के साथ कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लोगों का भावनात्मक रिश्ता बन गया। इस अवधि के दौरान, वह कॉर्पोरेट भारत के एक प्रिय सितारे के रूप में भी उभरे। जब 17 वर्षीय तेंदुलकर ने पर्थ की बहुत उछाल भरी वाका पिच पर शतक बनाया तो कई युवाओं को अपना हीरो मिल गया। जब उन्होंने 1998 में शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 'डेजर्ट स्टॉर्म शतक' बनाया, तो मध्यम आयु वर्ग के लोगों को उनमें अपने बेटे की झलक दिखी।
वह नवंबर 2013 में सेवानिवृत्त हुए।
1999 में चेन्नई टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को जीत दिलाने के बाद जब उन्हें मांसपेशियों में ऐंठन हुई तो लाखों दिल टूट गए थे। 2 अप्रैल 2011 को जब उन्होंने वनडे विश्व कप जीतने के बाद महेंद्र सिंह धोनी को गले लगाकर खुशी के आंसू बहाए तो पूरा देश उनकी खुशी में शामिल हो गया। नवंबर 2013 में जब उन्होंने मुंबई में अपने प्रशंसकों के सामने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कहा तो लाखों लोगों की आंखों में आंसू आ गए थे।
सुनील गावस्कर ने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि और मजबूत रक्षात्मक तकनीक से भारतीय क्रिकेट को सम्मान और गरिमा दिलाई, जबकि तेंदुलकर ने अपने शानदार स्ट्रोकप्ले और खेल शैली से ऐसी छाप छोड़ी कि वे अपने समय के सामाजिक प्रतीक बन गए। बीसीसीआई रातोंरात एक समृद्ध क्रिकेट बोर्ड नहीं बन गया। तेंदुलकर ने इसमें प्रमुख भूमिका निभाई और देश की मध्यम वर्गीय आबादी के एक बड़े हिस्से को खेल से जोड़ा। तेंदुलकर एक मध्यम वर्ग की सफलता की कहानी थी, जिसने 'भारत' (धनी और व्यापारिक घरानों) और भारतीय क्रिकेट के बीच एक 'सफल गठबंधन' को जन्म दिया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जब क्रिकेट इतिहासकार विभिन्न युगों के बारे में लिखते हैं, तो उन्हें 'बीटी (तेंदुलकर से पहले), 'डीटी (तेंदुलकर के दौरान)' और 'पीटी (तेंदुलकर के बाद)' जैसे शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है।
सोशल मीडिया के आने से पहले के दिनों में सचिन तेंदुलकर ने बिना किसी कटुता के हमेशा अपने कौशल से भारत को एकजुट रखा। उनकी विनम्रता ने उन्हें और भी अधिक प्रिय बना दिया। भारत में तेंदुलकर से अधिक प्रशंसक आसानी से मिल सकते हैं, लेकिन जब बात बिना शर्त प्यार की आती है, तो किसी के लिए भी 'मास्टर ब्लास्टर' से आगे निकल पाना आसान नहीं होगा। भाषा आनंद पंत