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जब सौरव गांगुली अपने पिता से झगडा करके भाग गए थे घर छोडकर, ​7 दिनों भटकते रहे थे इधर उधर

 

क्रिकेट न्यूज डेस्क।।  हम जितने भी खिलाड़ी भारतीय टीम में देखे, किसी न किसी वजह से सब कही ना कही बेहतरीन खिलाड़ी ही है। और टीम में अपनी किसी न किसी क्षमता की वजह से सभी ने कमाल दिखाया है।  मौजूदा समय के बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली भी इन्ही खिलाड़ियों में से एक है। भारत के सफल कप्तानों में से जो एक समय में एक थे। और इतना ही नहीं बल्कि बंगाल टाइगर के नाम से भी सौरव गांगुली को खूब जाना जाता है। भारतीय टीम के जिस समय सौरव कप्तान थे, भारतीय टीम ने क्रिकेट में उसके बाद से ही अपने लेवल को बढ़ाया, और हर दिन कमाल करना शुरू किया।
 
खुद को एक अलग ही मुकाम तक और धीरे धीरे करके लेकर गई। और भारतीय टीम को न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी जीतने का सौरव गांगुली ही वो कप्तान थे, जिसने हुनर सिखाया था। और यही कुछ विशेष कारण भी थे, सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से जिसकी वजह से सौरव गांगुली को एक माना जाता है। और आज इन्हे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष इनकी इन्ही सब चीजों को देखते हुए, नियुक्त किया गया है। लेकिन इतना कुछ हासिल करना सौरव गांगुली के लिए आसान नहीं था, इन्होने अपने क्रिकेट के समय बहुत उतार चढ़ाव देखे है। हालाकि उस समय इनके घर वालो ने इनका बहुत साथ दिया।

आपको बता दे, की हमे इसके बारे में सौरव गांगुली के पुराने करीबी रिश्तेदार और अलहकार मिलए बैनर्जी ने टीवी के एक पुराने शो जीना इसी का नाम है में बताया था। और ये कहानी सौरव गांगुली के एक क्रिकेट क्लब में खेलने को लेकर है। लेकिन इस दौरान सौरव गांगुली ने कुछ कर दिया था, की उन्हे 7 दिनो तक अपने ही घर से दूर रहना पड़ा था। अब आपके मन में आ रहा होगा, की आखिर इतने बड़े खिलाड़ी में ऐसा क्या कर दिया था, जिससे उन्हे 7 दिनो तक अपने घर से दूर रहना पड़ा। 

मलय चाहते थे, की सौरव मोहन बगान में खेले। लेकिन दूसरी तरफ सौरव के पिता ने उन्हे स्पोर्टिंग यूनियन भेजने के बारे में सोच रखा था। और इसी क्लब में उनके बड़े भाई स्नेहाशीष भी मौजूद थे। जिसमे मलय उन्हे कोलकाता के एक बहुत पुराने क्रिकेट क्लब में खेलने के लिए कहते है। लेकिन सौरव जिस क्लब में खेलने की बात करते है, उसमे उनके बड़े भाई कप्तान थे। और इसी दौरान फिर मलय ने शो में बताया, की ये शायद 1992 की बात है, जब सौरव गांगुली उस समय राजस्थान क्लब के लिए खेलते थे।

इन्होंने कहा, नहीं मलय दा ये संभव नहीं है। मेरे पिता ने स्पोर्टिंग यूनियन को अपनी जबान दे दी है। मेरे बड़े भाई भी वहां के कप्तान हैं। इसलिए मैं साइन नहीं कर पाऊंगा। तो मैंने कहा कि यार मोहन बगान बड़ा क्लब है। आप वहां पेशेवर बन जाओगे, पैसा भी मिलेगा। मैं उस समय मोहन बगान क्लब में खेलता था। लेकिन मैं अपना क्रिकेट कैरियर समाप्त करने ही वाला था। और फिर हमने सोचा की हम सौरव गांगुली को मोहन बगान में शामिल करेगे। और इसलिए मैं इनके घर पहुंचा। मैंने इनसे अपील की कि आप आओ मोहन बगान से खेलो। 

मलय ने बताया, की मैं अगले ही दिन इनके घर पहुंचा। और मैने इनसे बताया, की जिस दिन साइन करने की तारीख है, उस दिन तुम मुझे कॉलेज के बाहर मिलना। उनका कॉलेज सुबह का हुआ करता था। यहां गांगुली ने हंसते हुए इस बात को रोकने की कोशिश की लेकिन शो के एंकर फारूक शेख ने मलय को बात जारी रखने को कहा। इन्होंने कहा कि कल आओ देखते हैं क्या करना है। और फिर मलय ने बताया, की वह सौरव गांगुली को कॉलेज से लेकर भाग गए थे। और फिर अगले 7 दिनो तक सौरव अपने घर नही जा पाए थे। 

इसके बाद फिर शो के एंकर ने ये पूछा की सौरव के घर वालो ने सौरव के ऐसा करने पर क्या किया, लेकिन सौरव ने हंसते हुए, इस बात को यही रोका, और बोले की इसके बारे में आगे हम बाद में चर्चा करेगे। और इस बात को यही खत्म कर दिया गया। फिर आगे मलय ने कहा, की मैं सुबह जल्दी से इनके कॉलेज पहुंचा। ये आगे वाले गेट से कॉलेज में गए, और हम कॉलेज के पिछले गेट में इनका इंतजार कर रहे थे। और फिर हमने इन्हे बुलाया और हम भाग गए। और फिर अगले 7 दिनो तक ये घर नही गए थे, इसमें सबसे बड़ा हाथ अरुण लाल का भीं था, क्योंकि अगले 7 दिनो तक सौरव गांगुली इन्ही के घर में मौजूद थे।