Sachin Tendulkar Birthday: कहानी उन 13 सिक्कों की, जिसने पलट दी 'मास्टर ब्लास्टर' की किस्मत, जानें कैसे 'क्रिकेट के भगवान' बने सचिन
 

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  क्रिकेट न्यूज डेस्क।। जीवन में हर कोई अपने सपनों को पूरा करना चाहता है। जिंदगी उनकी मर्जी के मुताबिक चलनी चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ ही लोगों के भाग्य में होता है। इनमें से एक सपना सच होने जैसा 'क्रिकेट के भगवान' सचिन तेंदुलकर (सचिन तेंदुलकर का 51वां जन्मदिन) के साथ भी हुआ। महज 16 साल की उम्र में सचिन ने क्रिकेट की दुनिया में अपना पहला कदम रखा। सचिन तेंदुलकर ने अपना टेस्ट और वनडे डेब्यू 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ किया था.

डेब्यू मैच में वसीम अकरम ने उन्हें बाउंसर मारा और उनकी नाक से खून बहने लगा, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और गति से न डरते हुए यूनिस पर कहर बरपाना जारी रखा। उसी समय से यह साबित हो गया कि सचिन की यह इच्छा इतने कम समय में पूरी नहीं होगी। वह कुछ बड़ा करेगा और वही हुआ।' सचिन ने अपने सफर के संघर्षों को पूरी शिद्दत से जिया और जहां भी उन्होंने कदम रखा, सफलता अपने आप उनके कदम चूमने लगी। आज सचिन अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं. ऐसे में इस खास मौके पर हम उनकी जिंदगी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताएंगे जो बहुत कम लोग जानते हैं.

सचिन के 13 सिक्कों की कहानी, जिसने बदल दी उनकी किस्मत

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दरअसल, सचिन तेंदुलकर दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक हैं, उन्होंने भारत के लिए बल्लेबाजी करते हुए दुनिया के दिग्गज गेंदबाजों को काफी परेशान किया है। उन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. उनके जीवन से जुड़ा एक किस्सा बेहद मशहूर है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। सचिन के गुरु रमाकांत आरेकर ने सचिन को क्रिकेट का अभ्यास कराने के लिए एक अलग तरीका अपनाया। सचिन को एक सफल क्रिकेटर बनाने के लिए वह क्रीज पर विकेट के नीचे एक रुपये का सिक्का रखते थे। इसके पीछे मकसद था कि सचिन मैदान पर इस हद तक क्रिकेट खेलते रहें कि उन्हें थकान न हो। साथ ही वह गेंदबाज से कहते थे कि जो सचिन को आउट करेगा उसे एक सिक्का मिलेगा. इस तरह सचिन ने कुल 13 सिक्के जीते और ये सिक्के आज भी उनके पास हैं।

भारत रत्न समेत देश के प्रतिष्ठित पुरस्कारों में सचिन का नाम है
सचिन तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34000 से ज्यादा रन बनाये हैं. इसके साथ ही उनके नाम 100 अंतरराष्ट्रीय शतकों का रिकॉर्ड भी दर्ज है. सचिन को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें देश का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार, भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भी शामिल है।

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